28 फ़रवरी 2018

#शराबबंदी_होली

#शराबबंदी_होली

जो लोग शराबबंदी के विरोध कर रहे है उनको कुछ नहीं दिखता पर होली पे बिहार में शराबबंदी का असर साफ दिखता है। फागुन आते ही शराबी का आतंक शुरू हो जाता था। गलियों में गंदी गंदी गालियां देते दबंग गुजरते थे। गरीब-गुरबे सहम के भगवान-भगवान करते थे। किसी तरह होली कट जाए। रात्री में घरों के दरवाजे खटखटाया जाते थे। होली के दिन सड़कों पर और गलियों में शराबियों का कब्जा रहता था। गांव के दलाल पर बजने वाले होली और होलैया की टीम इन्हीं शराबियों की वजह से विलुप्त हो गई। अब गांव के चौपाल में होलैया की टीम नहीं सजती। होली के दिन लोग घरों में दुबके रहते है।

"नकबेसर कागा ले भागा, मोर सैंया अभागा न जागा"

"अंखिया भईल लाल इक नींद सोबे दे बलमुआ"

"काली चुंदरी में जोबना लहर मारे, काली चुनरी में"

इस तरह के परंपरागत होली गीत अब सुनने को नहीं मिलते हैं। अब तो बस फूहड़ गीतों का ही चलन है। गांव के कुछ पुराने लोग इस गीत को अभी गाते हैं।

24 फ़रवरी 2018

हे केजरीवाल तुम गधा से आदमी कब बनोगे..

हे केजरीवाल तुम गधा से आदमी कब बनोगो..

(डिस्क्लेमर:- यह एक व्यंग रचना है और यह पूरी तरह से काल्पनिक, मनगढ़ंत और एक गधा के द्वारा ही लिखा गया है। इसका किसी भी राजनीतिक व्यक्ति, पार्टी अथवा समर्थक से कोई सरोकार नहीं है। यदि किसी भक्तिभाव में डूबे व्यक्ति को इस पर आपत्ति हो तो हमें सूचित करें इसे तुरंत डिलीट कर दिया जाएगा)

सुनो केजरीवाल, तुम अभी भी गधा के गधा ही हो! पता नहीं आदमी कब बनोगे? जब तक आदमी नहीं बनोगे तब तक तुम को आदमी बनाने के लिए भरपूर कोशिश होती रहेगी। यदि तुम आदमी होते तो यह बात समझ में आ जाती कि आदमी होने के बहुत सारे फायदे हैं और गधा होना बहुत ही हानिकारक। तुम इतनी भी बात क्यों नहीं समझते कि आदमी होकर ही आदमी के साथ जिया जा सकता है।

अब तुम देख लो कि एक ब्यूरोक्रेट के साथ लप्पड़-थप्पड़ करने पर एक मुख्यमंत्री के घर को पुलिस ने खंगाल दिया। ऐसा इसलिए हुआ कि तुम गधा हो। अब देखो, यदि तुम गधा नहीं होते और आदमी होते तो एक मुख्यमंत्री होकर भी तुम को कई बार थप्पड़ पड़े परंतु थप्पड़ मारने वाले आजतक जय जय कर रहे हैं। कई आदमी तो उसको जाकर फूलमाला और बधाई भी दे दी। वाह! तुमने गधे को थप्पड़ मारी।

यदि तुम आदमी होते तो तुमको यह बात समझ में आ जाती कि आदमियों में ब्यूरोक्रेट को थप्पड़ मारने का चलन बिल्कुल नहीं है। थप्पड़ मारना ही था तो आम आदमी को मारते। आम आदमी के साथ तो कुछ भी किया जा सकता है। उसे जान से मार दो। फिर भी पुलिस कुछ नहीं करेंगी।

ब्यूरोक्रेट आदमियों में सर्वश्रेष्ठ होता है। ब्यूरोक्रेट्स को सुर्खाब के पर लगे हुए होते हैं और वह सुर्खाब के पर लगाकर और भी उड़ने लगता है जब उसको आदमियों में प्रधान कहे जाने वाले तथाकथित आदमी का भरपूर समर्थन मिल जाता है।

तुम गधा हो इसीलिए तो तुमको अपनी औकात का भी ज्ञान नहीं है। गधा भी ऐसे जैसे सावन में अंधे। सभी जगह हरा हरा तुमको दिखता है। अगर तुम आदमी होते तो यह बात समझ जाते कि सचिव रखने के मामले पर तुम्हारे बीस गधे चले गए और यहां अरबों-खरबों डकार कर भी लोग चले जाते हैं। परंतु तुम्हारे गधों के जाने और खरबों डकार कर जाने वाले आदमियों में आसमान जमीन का अंतर है। तुम खुद सोच कर देखो...! तुम गधा हो इसीलिए तो यह बात समझ में नहीं आती तुमको कि खरबों रुपए लेकर मालिया-मोदी सरीखे लोग विदेश में मौज कर रहे हैं और भक्ति भाव में डूबा देश ओम शांति, ओम विकास, ओम भक्ति, हरि ओम, हरि ओम, हर हर, हर हर, घर घर, घर घर का मंत्र जाप कर रहा है!

और एक बात यह भी समझ लो कि तुम अगर गधा नहीं होते तो यह बात तुमको समझ में आ जाती कि आदमी खूबसूरत गहने को पसंद करता है। अच्छे-अच्छे जेवरात को पसंद करता है और वह जेवरात चौबीस कैरेट गोल्ड का कभी नहीं बनता। उसमें कुछ मिलावट करना पड़ता है।
तुम गधा अगर नहीं होते तो हमेशाढें चू ढेंचू भी नहीं करते। आदमी वही होता है जो समयानुकूल अपने लाभ हानि का जोड़, घटाव, गुणा, भाग करके ही बोलता है पर गधा हमेशा ढेंचू ढेंचू करता है।

और एक कहानी जो हमारे देहात में फेमस है वह सुन लो। एक कुत्ते का बच्चा बीमार हो गया, उसकी मां बहुत परेशान थी। एक दिन पिता पे मां बरस पड़ी। कैसे बाप हो! बेटा तुम्हारा मरा जा रहा है और तुम कुछ कर नहीं रहे हो! बाप को भी गुस्सा आ गया। कहा,  क्या करें? डॉक्टर तो सभी फेल हो गए और किसी पिंडी-मूर्ति के पास इसके ठीक होने की दुआ भी कैसे माँगे। कोई भी पिंडी-मूर्ति नहीं बचा जिस पर इसने टांग उठाकर मूत ना दिया हो!

वह तो कुत्ता था उसके पास इतनी समझ थी पर तुम तो गधा हो। एकदम नहीं समझते। हालांकि जो आदमी होता है वह इस बात को समझता है कि कहां मूतना है और कहां नहीं मूतना है! अपना लाभ हानि सीख लो तभी तुम आदमी बनोगे। वरना गधा के गधा ही रहोगे और राजनीति में गधों के लिए कोई जगह नहीं है। मारपीट के तुमको सब खदेड़ देगा।
अरुण साथी/24/02/18

17 फ़रवरी 2018

सच है : अयोध्या में हिंदू करा रहे मस्जिद निर्माण

हिंदू आतंकवादी मुस्लिम आतंकवादी

इस तरह के राजनीतिक शब्द जालों के बीच उसी अयोध्या में एक सकारात्मक खबर है परंतु इस पर सन्नाटा भी है। अयोध्या के हनुमानगढ़ी मंदिर के जमीन पर 92 साल पुरानी शाह आलम मस्जिद को जर्जर होते देख प्रशासन ने संभालने अथवा तोड़ देने का नोटिस दिया। 

क्योंकि यह मस्जिद हनुमानगढ़ी हिंदू की जमीन पर थी इसलिए इसका निर्माण नहीं हो सकता था। मुस्लिम लोगों ने महंत ज्ञानदास से संपर्क किया और ज्ञानदास ने मस्जिद के जीर्णोद्धार की इजाजत दे दी और शाह आलम मस्जिद का निर्माण हो रहा है।

 हद तो यह है कि इस मस्जिद के निर्माण में गरीब-गुरबों मुसलमानों ने ही सीमेंट, ईंट और पैसे चंदे के रुप में दिए हैं बड़े-बड़े बोल बोलने वाले मुस्लिम पर्सनल ला अथवा ओवैसी जैसे बड़बोला ने कोई सहयोग नहीं किया..


भारत की धर्मनिरपेक्षता यही है। राजनीतिज्ञ हमेशा से इस भारत को मार देना चाहते हैं परंतु आम जनमानस इसे कभी मरने नहीं देगा भारत जिंदाबाद है जिंदाबाद रहेगा..

14 फ़रवरी 2018

ब्रेकिंग न्यूज़: वेलेंटाइन डे पर भगवा बुर्का लॉन्च..

(व्यंग्य बाय अरुण साथी)
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मघ्घड़ चाचा परेशान हैं। पूछ रहे हैं कि वैलेंटाइन क्या होता है मरदे! बहुत लोगों से पूछा, किसी ने कुछ, किसी ने कुछ जवाब दिया। तभी रास्ते में खिलावन सिंह के कुपुत्र मिल गया। लफूव्वा। हाथ में डंडा के ऊपर झंडा लगा हुआ था। पूछ लिए
"वैलेंटाइन के दिन झंडा लगा डंडा लेकर कहां जा रहे हो बेटा।"

बोला "बाबा आप नहीं ना समझ पाइयेगा। आज हम उसको सोंटने जा रहे हैं जिसने मेरी गर्लफ्रेंड को पटा लिया है। कहीं भी मिलेगा आज उसको सोंट देंगे।"
फिर रास्ते में फुलझड़ी मिल गई। फुलझड़ी काकी को मघ्घड़ चाचा खूब चाहते थे। आंखों ही आंखों में इशारे हो गए परंतु जुबान आज तक नहीं खुली। अब अंतिम पड़ाव पर उन्होंने पूछ लिया।
"फुलझड़ी यह वैलेंटाइन क्या होता है।"

काकी शरमा गई, बोली
"जवानी में तो पूछ ना सके, पूछते तो आज हम आपके और आप हमारे होते। इस उम्र में पूछने से क्या फायदा। खैर पूछे हैं तो बता देती हूँ।  इसको प्रेम दिवस भी कहते हैं और एक गुलाब देकर किसी को अपना बना सकते हैं।"
फिर क्या था चाचा भड़क गए, बोले 'इतने साल तक अपना दिल देकर तुमको अपना नहीं बना सके फिर एक गुलाब से कोई अपना कैसे बन जाएगा।"
काकी भड़क गई बोली
"बुद्धू का बुद्धू ही रह गए। अब अपने जमाने की बात नहीं है। आजकल गुलाब देकर किसी को अपना बनाने का मतलब वैसा ही है जैसे दस का नोट देकर कोका कोला खरीदे, ढक्कन उड़ाया और गटक गए। समझ में आया। स्प्राइट जैसा सब क्लियर है और आजकल के नौजवान यही सब करते हैं। वही ठंडा पीते हैं जिसमें कहा जाता है डर के आगे जीत है।
खैर, मघ्घड़ चाचा भी रास्ते में एक गुलाब का फूल तोड़ लिए, सोचे इतने दिन तक तो चाची को कुछ दिया नहीं आज गुलाब दे देते हैं। गुलाब हाथ में लेकर मंद मंद मुस्कुराते हुए वह जा रहे थे तभी रास्ते में बजरंग सेना मिल गई। लाठी और झंडा साथ-साथ। चाचा के हाथ में गुलाब देखकर फुलझड़ी का भतीजा भड़क गया। वह सोच लिया कि जरूर इसमें उनकी काकी को ही प्रपोज किया होगा। खैर फिर क्या था। बजरंग सेना आपस में बातचीत किया और चाचा को ही धो दिया। चाचा पूछते रहे कि क्यों धो रहे हो पर जवाब किसको पता था। लाल गुलाब देखकर भगवा झंडा वाले वैसे ही भड़कते हैं जैसे लाल कपड़ा देखकर सांढ़!
मार कुटाई के बाद चाचा जा रहे थे तभी रास्ते में मौलाना फैजुल मिल गए। पूछ लिया,
"क्या हुआ चाचा, हाथ मे लाल गुलाब, माथे पर लाल लाल लहू, किस से भिड़ गए। इस उम्र में रोज दीजिएगा तो पिटाई तो होगी।"
चाचा क्या कहते, बस इतना कहें,  "कई दशक के बाद रोज देने की हिम्मत की और डंडा धारी फौज ने पीट दिया।"
"ओह, अच्छा बजरंग सेना वाले थे। ठीक ही किया। हम तो कहते ही हैं कि औरतों को बुर्का में रहना चाहिए। भला औरतें नुमाइश की चीज है। घर के चारदीवारी के अंदर ही वो रहने की चीज़ है और नहीं तो फिर बुर्का में रखिए। यह सब बखेड़ा ही नहीं होगा पर आप लोग विरोध करते हैं। स्वतंत्रता, स्वाभिमान, स्वावलंबन! आप ही लोग के डिक्शनरी में यह सब होता है। हमारे डिक्शनरी में तो बुर्का, तीन तलाक, हलाला यही सब है।"
तभी उधर से परमेश्वर पंडा आ रहे थे। मौलाना की बात सुनकर वैसे तो भड़क जाते थे परंतु आज समर्थन कर दिया।
"ठीक कहते हैं मौलाना साहब। स्त्री कैदखाने में ही रहनी चाहिए। हम लोग भी अब मांग करेंगे भगवा बुर्का की। आप लोगों के बुर्का में आंख के आगे थोड़ी सी जगह भी रहती है हम तो कहेंगे कि वहां भी जगह नहीं रहनी चाहिए। स्त्री भला कैसे किसी को देख सकती हैं। पूरी तरह से आंखों पर पट्टी होगी। अरे किस घर में दो चार मर्द नहीं होते हैं। जहां उसको जाना होगा, उंगली पकड़कर ले जाएगा तभी इस संसार में कल्याण होगा। अभी तो सब जगह अपनी सरकार है। इस मुद्दे को लागू करा कर ही दम लूंगा। और फिर भगवा बुर्का के लिए देशभर में जबरदस्त आंदोलन हुआ। देश और राज्य की सरकारें आंदोलनकारियों के आगे घुटने टेक दिए। आखिर वोट बैंक का सवाल था। अगले दिन न्यूज चैनलों और अखबारों की हेडलाइन थी भगवा बुर्का कानून पास। नहीं पहनने पर आजीवन कारावास की सजा।
तथास्तु, हरि ओम, हरि ओम, हरि ओम..

13 फ़रवरी 2018

नपुंसक समाज को लिंग दिखता एक नपुंसक

नपुंसक समाज को लिंग दिखाता एक नपुंसक

दिल्ली की खचाखच भरी  एक बस में जब एक नपुंसक आदमी नपुंसक समाज के सामने अपना लिंग निकालकर उसका प्रदर्शन करता हो और एक दिलेर छात्रा इसका वीडियो बनाकर ट्विटर पर सार्वजनिक करती हो तब इस बात को समझ लेना चाहिए कि आदिम युग से दुर्गा और महिषासुर कि पुनरावृत्ति आज भी होती रही है। वैसे तो उस बस में बहुत सारे लोग होंगे पर निश्चित रूप से उसमें कोई जिंदा आदमी सफर नहीं कर रहा होगा। लाशों के बीच एक जिंदा लाश भी थी जो अपनी बच्ची की उम्र के एक बच्ची को अपना लिंग दिखा कर अपनी राक्षसी मनोवृत्ति को तुष्ट कर रहा था।

दरअसल यह बस और इसकी यह घटना विकृत पुरुष समाज के मानसिक विकृति का एक आईना है जो सदियों से महिलाओं के साथ इसी तरह से पेश आता रहा है। बेटियां कैसे यह सब झेल कर आगे बढ़ती है यह उसके अदम्य साहस का ही परिचायक है।

इसी बस की घटना ने यह भी साबित किया की बेटी वास्तव में दुर्गा का रुप होती है और जब भी महिषासुर दानव अपनी विकृति का प्रदर्शन करता है तब उस का मान मर्दन करने, उसके रक्तबीज को खत्म करने के लिए दुर्गा अवतरित होती है। वही बेटी काली के रूप में भी राक्षसों के रक्तबीज का नाश करती है। दिल्ली के बस की यह घटना इस बात का भी धोतक है कि हम जिसे समाज कहते हैं दरअसल वह जिंदा लाशों का कब्रिस्तान है और इन जिंदा लाशों के कब्रिस्तान के पीछे हम सब सड़ांध पर केवल अपनी नाक पर रूमाल रख लेते हैं।

जिंदा लाशों के बीच कहीं-कहीं, कोई-कोई जिंदा आदमी भी दिखता है और वही जिंदा आदमी संभावना है इस बात का कि आज ना कल हमारा समाज भी जिंदा समाज बनेगा।

और गुलाटी जैसी बेटी हमें अक्सर जिंदा लाश साबित करने का साहस दिखाती रही है।

पर अफसोस इस बात का है कि इतनी शर्मनाक घटना के बाद तथाकथित अदम्य साहसी और पराक्रमी सरकार अभी उस महिषासुर को गिरफ्तार नहीं कर सकी है।

और तो और इस घटना पर उस महिषासुर की गिरफ्तारी ही सजा नहीं है बल्कि चौबीस घंटे के अंदर उसे स्पीडी ट्रायल के जरिए स्पेशल कोर्ट में सजा सुनाई जाए तभी एक दुर्गा रूपी बेटी के अदम्य साहस का हम सम्मान कर सकेंगे वरना केवल सोशल मीडिया पर उस दुर्गा रूपी बेटी को शाबाशी देने से यह एक औपचारिकता भर ही साबित हो कर रह जाएगी...

08 फ़रवरी 2018

कड़ी मेहनत से मिलती है सफलता

कड़ी मेहनत और लगन के साथ पढ़ाई से मिलती है सफलता- पुलिस अधीक्षक अश्वनी कुमार

बिहार कौशल विकास मिशन के बच्चों के बीच किया पुरस्कार वितरण

बरबीघा।

बिहार कौशल विकास मिशन द्वारा संचालित श्रद्धानंद स्मारक कुशल युवा कार्यक्रम केंद्र पर झारखंड के खूंटी जिला पुलिस अधीक्षक अश्विनी कुमार ने बच्चों को जीवन में आगे बढ़ने और सफलता पाने का गुरु मंत्र दिया। वे बरबीघा के सामाचक में रहकर पढ़ाई की है। इस मौके पर अश्वनी कुमार ने कहा कि कठिन परिश्रम और लगन के साथ नियमित पढ़ाई से ही सफलता मिलती है।

साथ ही अश्वनी कुमार के द्वारा कुशल युवा केंद्र के क्विज प्रतियोगिता में विजई बच्चों के बीच पुरस्कार वितरित भी किया।

इस अवसर पर आयोजित समारोह में बोलते हुए अश्वनी कुमार ने कहा कि बरबीघा के प्राथमिक विद्यालय सामाचक से पढ़ाई प्रारंभ की और झोला लेकर जमीन पर बैठकर शिक्षक रामनरेश सिंह के द्वारा पढ़ाई सीखी और वही बुनियाद आज सफलता तक पहुंचाया। उन्होंने कहा कि शेरपर मध्य विद्यालय से पढ़ाई करने के क्रम में प्रधानाध्यापक गीता सिंह के द्वारा दिया गया गुरु मंत्र उनके जीवन में दूर तक काम आया। गीता बाबू सर्वज्ञ शिक्षक थे और हिंदी के क्लास में सामान्य विज्ञान से लेकर सामान्य ज्ञान तक की बातें सिखा दिया करते थे। साथ ही साथ उन्होंने अपने शिक्षक रामशकल साहू, अर्जुन पंडित, अरुण त्यागी और संजय प्रसाद का भी जिक्र कर बच्चों को लगन और मेहनत से पढ़ने का गुरु मंत्र दिया।

इस अवसर पर उनके द्वारा श्रद्धानंद स्मारक कुशल युवा केंद्र के बच्चों को कुशल युवा कार्यक्रम क्यूज़ प्रतियोगिता सफलता हासिल करने पर पुरस्कार प्रदान किया गया। प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार मुकेश कुमार, चंदन कुमार रंजना कुमारी, द्वितीय पुरस्कार अर्णव कुमार, रंजना कुमारी, जीशान अली को प्रदान किया गया जबकि तृतीय पुरस्कार अंजनी कुमार, राज कुमार, संजना कुमारी और संदीप कुमार को प्रदान किया गया।

इस अवसर पर समारोह का संचालन संस्था के निदेशक अरुण साथी ने किया जबकि अतिथि का स्वागत राजू सिंह के द्वारा किया गया। मौके पर शशांक कुमार, स्वराज हिंद, रोहित कुमार, लवली साव, भाजपा जिला अध्यक्ष संजीत प्रभाकर, देव कुमार पांडे, नीतिनजय कुमार, बरुन सिंह सहित अन्य लोग उपस्थित थे।