31 जनवरी 2014

डेन्ड्रफ वाला तोता अ बुद्धू बक्सा बाले डफर

(व्यंग/अरूण साथी)
जब से ई टीआरपी का जमाना आया है तब से डेन्ड्रफ वाले तोतों की तूती बुद्धू बक्सा बाले बोलबाने लगे है। पब्लिक का क्या है, वह तो डेन्ड्रफ वाले तोतों को ही भगवान मान पूजने लगती है। पूजना भी चाहिए, आखिर तोता को डेन्ड्रफ होना मामूली बात नहीं होती।
डेन्ड्रफ वाले तोंता भी कई प्रकार के होते है। एक दो तो ऐसे भी है जो पीएम बाला सर्टिफीकेट लिए घूम रहें है जिसपर न सिग्नेचर है न मोहर।
एक तोता नाना, दादी और पापा रट लगाए हुए है। बुतरू है अभी, रटने में भी समय लगता है। कभी कभी तीन सिलेंडर बोल देते है तो कभी अध्यादेश को फाड़ कर फुर्र हो जाते है।
अब रटंत विद्या तो रटंत ही रहेगी। केतना याद रहेगा, सो फंस गए अंग्रेजी चैनल के चक्कर में। चले थे हीरो बनने, बन गए जीरो। अपनी ही पार्टी की लुटिया डुबो दी।
अब ई चैनल बाला सब भी बड़े वो है, पहला-दूसरा के बुतरू से मैट्रीक वाला सवाल पूछेगा तब पैंट तो गीला होगा ही।
हलांकि गांव देहात में जो तोता बोलता नहीं उसे हरहर तीत मिर्ची खिलाई जाती है। अब ई बुतरू के मम्मी तीखी मिर्ची खाने ही नहीं देती तो कोई क्या करे? फैसला सुना दिया ‘‘बुतरू पीएम कंडिडेट नहीं होगा।’’
दूसरे ‘‘साहेब’’ (जासूसी बाला साहेब न समझे) नयका डेन्ड्रफ वाला तोता है। नागपुर से मनोनित। पीएम के सर्टिफीकेट पर दस्खतो अपने कर लिए। अब बुद्धू वक्सा वाले सब सवा अरब के देश में दू-तीन हजार से पूछ कर धोषणा कर दिए, सर्टिफिकेट सही है। जय हो।
अब बुद्धू वक्सा वाले सब डेन्ड्रफ वाले तोता का ही जय हो कर-करा रहे है। करो भाई, कोई काहे रोकेगा।
एक और नयका तोता मैदाम में है। कहते है खाली हमरा डेन्ड्रफ की ऑरिजनल है। उनके अंदर हरिश्चन्द्र जी का आत्मा है। मान लो जी। हर बात में एसएमएस से पूछते है। बताओ जी शौचालय जाए की नहीं....। हुजूर पब्लिक रास-रंग की शौकिन है उसकी सुनोगे तो देश की कौन सुनेगा। सम्भल जाओ जी। 
ई सब के बीच खेलाबन चाचा ठुक-मुकाल, टुकुर टुकुर देख रहे है। जैसे द्रिग लग गया हो। का करें जी, समझे नहीं आता। ई सब केतना डेन्ड्रफिया गया है। किसी को धर्म वाला डेन्ड्रफ हुआ है तो किसी को धर्मनिरपेक्ष वाला। ई सब चुनाव में ही काहे होता है। उनके डेन्ड्रफ पर तो किसी का ध्याने नहीं है। उनकर पेट से लेकर पीठ तक डेन्ड्रफ भर गया। डागडर साहेब ने बताया है कि दुन्नी सांझ रोटी भर पेट खाओ तब्बे ठीक होगा, कहां से खायें। गंजा भी हो गए त कोई आके कंधी बेच दे रहा है, हदे हाल है।
खिसियाल खेलाबन चा बड़बड़ाते रहते है ‘‘ बुढ़ सुग्गा नै पोस माने, पार्टी ई काहे नै जाने।  बुद्धू बक्सा बाले भैया, डेन्ड्रफ नहीं पपड़ी है, पपड़ी है, डफर....









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