11 दिसंबर 2010

नीतीश कुमार ने विधायक फंड खत्म करने का लिया ऐतिहासिक फैसला।

सत्ता में दुसरी बार उम्मीद से ज्यादा बहुमत से आने के बाद बिहार के मुख्यमंत्री को जहॉ लोगों की अपेक्षाएं बढ़ गई वहीं भ्रष्टाचार पर अर्जून की तरह मछली की ऑख पर निशाना साधते हुए नीतीश कुमार ने आज विधायक फंड को खत्म करने की पहल कर एक एंेतिहासिक फैसला लिया है। विधायक फंड को भ्रष्टाचार की गंगोत्री कहा जाय तो यह अतिशयाक्ति नहीं होगी। विधायक फंड कई मायनों जन सारोकार की राजनीतिक धार को कुंद तो करती ही थी साथ ही साथ इसमें व्यापक तौर पर भ्रष्टाचार भी होता था। विधायक के क्षेत्र में विकास के लिए प्रतिवर्ष 1 करोड़ की राशि विकास मद में दी जाती थी। जिसका कोई सार्थक उपयोग नहीं होता था। अगर कहा जाय तो इसकी उपयोगिता शून्य प्रतिशत थी। शून्य प्रतिशत इस मायने में की इस मद से जो भी विकास का कार्य किया जाता था। उसका अस्तित्व एक साल होती थी। कुछ उदाहरण मैं दे सकता हॅू। विधायक मद से गॉव-गॉव चापाकल गड़े गये जिसकी सरकारी लागत 60000 होती थी पर इसमें विधायक जी का कमीशन 20 प्रतिशत अधिकारी का कमीशन 20 से 25 प्रतिशत तथा जो ठेकेदार काम कराया उसका कमीशन 15 से 20 प्रतिशत, अब वचा क्या? शेष राशि से जो चापाकल गाड़े गये वह एक माह भी प्यासों को पानी नहीं पिला सका।

एक और उदाहरण बरबीघा विधान सभा का। पिछले सत्र में यहॉ से पटना के जानेमाने न्यूरों सर्जन डा0 आरकृआर. कनौजीया विधायक बने। विधायक फंड के बार्बादी का नमूना यह कि विधायक जी ने 50 प्रतिशत कमीशन पर विधालयों में बिना राय जानें 50 लाख मुल्य की पुस्तक भेजवा दी। प्रभात प्रकाशन से खरीदी गई इन पुस्तकों में बच्चों के उपयोगिता लायका शायद ही किताब हो और आलम यह किताब विधालयों के स्टोर रूम में स़ड़ रहा है।
नीतीश कुमार भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने का दाबा करते हुए जनता से वोट की अपील और इस दिशा में उनके द्वारा उठाया गया यह कदम स्वागत योगय और ऐतिहासिक है।
नीतीश कुमार अपनी सभाओं में कहा करते है कि अब बिहार जो पहले करता है देश उसका अनुकरण करता है। आज विधायक फंड खत्म करने की पहल कर एक बार फिर नीतीश कुमार देश के सामने इसका अनुकरण करने का बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है।

3 टिप्‍पणियां:

  1. बिल्कुल सही। अब तो बिहार जो भी करेगा उसे दुनिया देखेगी। आशा है बिहार एक बार फिर से अपना पुराना गौरव वापस ले आएगा।

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  2. bilkul galat, isse loktantre kee hanee hogi tathaa shashan karyapalika ke haath me hogi, vidhayk kee nidhee khatam karne se pehle vidhayak kee niyat khatam karnee chahiye jisse unnati hogi na kee vidhayak needhi khatam karne se. vichhar badalna jyada jaroori na ki karya badalna. vichhar agar vahee raha to brastachhar to hogi. isle vichhar badelne par jyada jor dena chahiye.

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